संविधान की धारा 343 के अनुसार देवनागरी लिपि में लिखित हिन्दी केंद्र सरकार की राजभाषा घोषित की गई है। यद्यपि हमारा संविधान 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ लेकिन राजभाषा के संबंध में यह व्यवस्था की गई कि संविधान लागू होने के 15 वर्षों तक अंग्रेजी का प्रयोग पहले की तरह ही होता रहेगा। इस प्रकार 26 जनवरी, 1965 से हिन्दी पूरी तरह से राजभाषा बननी थी, लेकिन कुछ कारणों से ऐसा संभव नहीं हो सका। इसलिए संसद द्वारा 1963 में एक राजभाषा अधिनियम पारित किया गया जो 26 जनवरी, 1965 से लागू हुआ।इसके बाद 1976 में राजभाषा नियम बनाए गए। 1975 में एक स्वतंत्र राजभाषा विभाग की स्थापना की गई जो कि भारत सरकार के गृह मंत्रालय के अधीन काम करता है।
भारत सरकार ने केंद्रीय सरकारी कार्यालयों में राजभाषा का प्रयोग बढ़ाने के लिए कई तरह के प्रयास किए हैं। सरकार ने अलग-अलग नगरों में स्थित केंद्रीय सरकारी कार्यालयों में राजभाषा के प्रयोग की समीक्षा करने और इसका प्रयोग बढ़ाने के लिए नगर राजभाषा कार्यान्वयन समितियों का गठन किया है। इस समय पूरे देश में लगभग 250 ऐसी समितियां कार्यरत हैं। शिमला में भी 1976 से एक नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति का गठन किया गया है। श्री राजेन्द्र कुमार, मुख्य आयकर आयुक्त, हिमाचल प्रदेश, शिमला इस समय नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति, शिमला के अध्यक्ष हैं और श्री एच. सी. नेगी, प्रधान आयकर आयुक्त, शिमला इसके उपाध्यक्ष हैं। डॉ. सुरेन्द्र कुमार शर्मा, सहायक निदेशक(रा.भा.) समिति के सचिव का कार्य कर रहे हैं।
मई और दिसम्बर में समिति की छमाही बैठकों का आयोजन किया जाता है। जिनमें सभी सदस्य कार्यालयों के प्रमुख भाग लेते है। बैठकों में सदस्य कार्यालयों में राजभाषा के प्रयोग की समीक्षा की जाती है और राजभाषा का प्रयोग बढ़ाने के लिए विभिन्न उपायों पर चर्चा की जाती है। सदस्य कार्यालयों में राजभाषा का प्रयोग बढ़ाने के लिए नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति स्तर पर कई प्रकार के प्रयास किए जाते हैं। समिति द्वारा प्रति वर्ष 11 हिन्दी प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है, राजभाषा पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया जाता है, सदस्य कार्यालयों के कार्मिकों के लिए हिन्दी कार्यशालाओं का आयोजन किया जाता है। समिति वर्ष में अपनी एक हिन्दी पत्रिका ’’यात्रा’’ का भी प्रकाशन करती है। कार्यालयों में राजभाषा का प्रयोग बढ़ाने के लिए समिति प्रति वर्ष उन कार्यालयाध्यक्षों को पुरस्कृत करती है, जिन के कार्यालय में वर्ष के दौरान राजभाषा का प्रयोग बढ़ाने के लिए विशेष प्रयास किए गए हों। इसके अतिरिक्त समिति अपने स्तर पर हिन्दी टाईप प्रशिक्षण एवं सेमिनार इत्यादि अन्य कई कार्यक्रम आयोजित करती है ताकि सदस्य कार्यालयों में राजभाषा का प्रयोग निरंतर बढ़ता रहे।