पानी के नीचे जीवन के लिए निर्मित
क्या मछलियां पानी पीती हैं?
पानी में रहने वाली मछलियों के संबंध में प्राय:यह प्रश्न पूछा जाता है कि “क्या मछलियां पानी पीती हैं?”
जवाब है – “हां” / “ना”
ताजे पानी की मछली पानी नहीं पीती, जबकि समुद्री मछली भारी मात्रा में पानी पीती है|
ताजे पानी की मछली के शरीर में आस-पास के पानी की तुलना में अधिक गाढ़ा व नमक युक्त तरल पदार्थ होता है जिसके कारण मछली को निरंतर पानी सोखने और फूलने का खतरा बना रहता है| इसके फलस्वरूप वह पानी नहीं पीती और जो पानी त्वचा व गलफड़ों के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है उसे गुर्दों के जरिये मूत्र के रूप में अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने के लिए प्रयोग करती है|
समुद्री मछली की समस्या बिल्कुल विपरीत है| आस-पास के पानी की अपेक्षा समुद्री मछली का तरल पदार्थ कम नमकीन होता है, जिस कारण मछली निर्जलीकरण के निरन्तर खतरे में रहती है| इस प्रकार मछली गलफड़ों और त्वचा के माध्यम से खोये हुए पानी की आपूर्ति हेतू बड़ी मात्रा में पानी पीती है| कुछ नमक पाचन तन्त्र द्वारा व कुछ नमक विशेष गिल कोशिकाओं के माध्यम से वापस समुद्र में चला जाता है| समुद्री मछली शायद ही कभी पेशाव करती है|
मछलियां कैसे तैरती है?
हालांकि मछलियों की आकृतियां विभिन्न प्रकार की होती है, परन्तु सामान्यतः वे नाव के आकार की होती है, जो पानी में गतिविधियों को सुविधाजनक बनाती है| जलीय माध्यम में गति बनाए रखने के लिए मछली को वास्तव में पानी को किनारों की तरफ धकेलना पड़ता है| मछली सांप की तरह आगे-पीछे तैरती हुए अपने पर से पानी को पहले बायीं ओर और फिर दांयीं ओर धक्का देकर तथा शरीर के वक्र के साथ और अंत में अपनी लचीली पूंछ के साथ आगे बढ़ती है| पानी अपनी मूल स्थिति में वापिस आने की प्रवृति के कारण मछली की पूंछ के पास से पीछे बह जाता है और मछलियों को आगे बढ़ने में मदद करता है|
स्केट और रे मछलियां अपने किनारों पर लगे हूए बड़े-बड़े फिन्स की सहायता से तैरती हैं, जिससे ऐसा प्रतीत होता है मानों वह पानी में उड़ रही हों| कुछ चपटी मछलियां जैसे कि समुद्री रोबिन (Sea Robin) समुद्री तल पर रेंगती है, और कुछ मछलियां जैसे कि मडस्किपर (Mud Skipper) पानी के बाहर तटों पर रेंगती हैं क्लाइबिंग पर्च (Climbing Perch) और स्नेक हैड (Snake Head) एक तालाब से दूसरे तालाब तक अपने आगे के फिन्स द्वारा यात्रा करती है| कुछ मछलियां हवा में उड़ सकती हैं| वे पानी के बाहर लगभग एक मिनट तक रह सकती हैं और यदि उन्हें उठाने के लिए हवा का बहाव अच्छा हो तो वे दस से बीस फीट की ऊंचाई तक हवा में अपने सुदृढ़ पंखों द्वारा उड़ सकती हैं|
मछली कैसे देखती है?
हम में से अधिकांश लोग जानते हैं कि पानी के नीचे देखना हवा में देखने से भिन्न होता है| प्रकाश फैला हुआ होता है, और जल्दी से धीमा होकर धुंधला हो जाता है| साफ़ पानी में भी अपेक्षाकृत निकट की वस्तुओं पर ही ध्यान केद्रिंत कर सकते हैं परन्तु इसी पर्यावरण में मछली की आंखों को कार्य करना पड़ता है और इस माध्यम के लिए वे अत्यन्त अनुकूल हैं| उनकी प्रमुख आवश्यकता आस-पास की क्रियाओं और वस्तुओं को देखना है, आंखें सिर की दोनों तरफ होने के कारण लगभग हर वस्तु को देख पाती है, जो मछली के आस-पास हिल-डूल रही होती है| तरल माध्यम में पलकों या आंसू नलिकाओं की आवश्यकता नहीं होती और इन्होंने अलग-अलग प्रकाश की मात्रा में कार्य करने के तरीके विकसित कर लिए हैं
अधिकांश मछलियों की आंखों को व्यापक रूप से अलग रखा गया है और माना जाता है कि प्रत्येक आंख अलग संयुक्त समन्वित छवि बनाती है| इसके अतिरिक्त मछली की आंख का रेटिना विपरीत दिशा वाले मस्तिष्क के भाग को संकेत भेजता है| इसकी तुलना में मनुष्य की आंखें सिर के सामने होती है, जो उसे एक व्यापक क्षेत्र में दृष्टी देने का दोहरा लाभ प्रदान करती हैं| मनुष्य की आंखें मस्तिष्क के दोंनों ओर संकेतों को साथ-साथ भेजती हैं| परिणामस्वरूप स्पष्ट द्विनेत्री दृष्टी होती है|
कुछ मछलियों में विभाजित दृष्टी (Divided vision) एक उल्लेखनीय विशेषता है| मछलियां जैसे कि एनाब्लेप्स (Anableps) सतह से ऊपर और नीचे दोंनों तरफ देख सकती हैं| इस चार आंखों वाली मछली की प्रत्येक आंख इस प्रकार सिर के ऊपर स्थित है कि तैरते समय इसकी आधी आंख पानी के बाहर होती है|
हम स्केलस (scales) द्वारा मछली की आयु का पता लगा सकते हैं:-
आमतौर पर मछलियां सिर से पूंछ तक एक लचीले कवच द्वारा ढकी होती है, जो स्केलस से बना होता है| ये त्वचा के भीतरी परत में दबे होते हैं और एक महत्वपूर्ण कवच बनाते हैं| इसके अतिरिक्त मछली के शरीर पर अनेक अदृश्य ग्रन्थियों द्वारा उत्पादित श्लेष्मा की परत उसे बैक्टीरिया और कवक से एंटीसेप्टिक के रूप में सुरक्षा प्रदान करती है|
स्केलस (scales) आकार और मोटाई में अनेक प्रकार के होते हैं| महाशीर (१२ फूट तक लम्बी मछली) के स्केलस (scales) मनुष्य के सिर जितने बड़े हो सकते हैं, जबकि कॉमन ईल (Comman eel) के स्केलस केवल सूक्ष्मदर्शक यन्त्र द्वारा देखे जा सकते हैं| कुछ मछलियां जैसे कि कैट फिश (Cat Fish) स्केलस रहित होती हैं | कुछ मछलियों में जैसे ट्रंक फिश (Trunk Fish) में स्केलस आपस में जुड़कर एक कठोर ढांचानुमा परत बना देते हैं| पाइप फिश (Pipe Fish) और सी होरस (Sea Horse) में स्केलस कठोर परत की पंक्तियां बनाते हैं|
मछली के साथ-साथ स्केलस भी बढ़ते हैं, और विशेष रूप से समशीतोष्ण क्षेत्र की मछलियों में आयु और मौसम में एक विशिष्ट सम्बन्ध होता है| समशीतोष्ण क्षेत्रों की मछलियों के प्रत्येक स्केलस (scales) गर्मियों के दौरान बड़ी तेजी से बढ़ते हैं जब मछली अधिकतम फीड प्राप्त कर रही होती है| मछली के शरीर पर बने हुए वृद्धि चक्रों (Growth Rings) की गणना करके उसकी आयु का पता लगाया जा सकता है|
स्केलस (scales) चार प्रकार के होते हैं :-
1. पलेक्वाइड (Placoid) :- शार्क, रे और स्केट मछलियों के स्केलस (scales), रेगमाल पर लगे दानों के आकार के, दांत की तरह होते हैं|
2. गेन्वाइड (Ganoid) :- गेन्वाइड स्केलस कुछ हड्डी युक्त (Bony) मछलियों में होते हैं| ये हीरे के आकार के होते हैं, और जोड़ों द्वारा एक दूसरे से जुड़े होते हैं| गेन्वाइड स्केलस के ऊपर गेन्वाइड की परत होती है, जिससे मछली चमकीली प्रतीत होती है|
3. साइक्लोआइड (Cycloid) व टीनोआइड (Ctenoid) ये सबसे आम प्रकार के स्केलस हैं| साइक्लोआइड स्केलस में कंघी के समान धार होती है जबकि टीनोआइड में गोल होती है| अधिकतर मछलियों में एक या अन्य प्रकार के स्केलस होते हैं| स्केलस हल्के, लचीले और मछली के शरीर पर पंक्तियों में व्यवस्थित होते हैं| स्केलस युक्त अधिकतर मछलियां तेज तैराक होती है|